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मंज़िकर्ट की जंग में रूमियों पर शानदार फतह के बाद सुल्तान अल्प अर्सलान का प्रभुत्व मग़रिबी एशिया के ज्यादातर हिस्सों में फ़ैल गया था। सुल्तान ने जल्द ही अपने आबाओ-अजदाद के असल हदफ़ तुर्किस्तान को फतह करने के लिए मार्च करने की तैयारी शुरू कर दी थी।

सुल्तान अल्प अर्सलान ने एक ताकतवर फौज के साथ अमु दरिया के साहिल पर पेशकदमी की। इससे पहले की वह हिफाज़त के साथ दरिया को पार कर सकें ताहम कुछ किलों को ज़ेर (demolished) करना ज़रूरी था। जिनमे से एक का कुर्द बागी यूसुफ अल-ख्वारजिमी या यूसुफ अल-हरानी ने भरपूर तरीके से दिफ़ा किया।

शायद अपने कराखानिद दुश्मन के खिलाफ दबाव डालने के लिए, सुल्तान अल्प अर्सलान ने बाग़ी को अपनी ज़मीनों की दाएमी मिलकियत का वादा करके गवर्नर का अहद हासिल कर लिया था। जब यूसुफ अल-हरानी को सुल्तान के सामने लाया गया। तो सुल्तान ने हुक्म दिया की इसे गोली मार दी जाये। लेकिन तीर अंदाज के कमान उठाने से पहले ही यूसुफ ने खंजर पकड़ कर अल्प अर्सलान पर फेंक दिया। और मारे जाने से पहले पहले उसने तीन वार कर दिए। सुल्तान अल्प अर्सलान भी खंजर का दर्द बर्दाश्त नहीं कर सके। 4 दिनों के बाद उनकी भी वफ़ात हो गयी। उनकी वफ़ात के बाद उन्हें मर्व में दफनाया गया। उनकी वफ़ात के बाद उनके 18 साला बेटे मालिक शाह को उनका जानाशीन मुक़र्रर किया गया था

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