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अजीब रिवाज🤔

जब एक परिवार से किसी की मौत हो जाती है तो उनके जान पहचान व रिश्तेदारियों से गम में शामिल होने व मय्यत को दफनाने आते हैं।

जिस घर से एक सदस्य चला गया हो, किसी का बाप, मां, भाई, बहन, बीवी, बेटा, बेटी आदि कोई भी,,, उस घर के आंगन में कफन में लिपटी मय्यत मशेरी पर होती है,,और दूसरी तरफ आस पास से आए लोगो के लिए बिरयानी का इंतजाम होता है।

अब हमारी आदत इतनी घराब हो चुकी है कि जनाजे के चेहरे को देखने से पहले ये देखते हैं यहां बिरयानी का इंतजाम कहां है।
जैसे ही मैय्यत को दफनाकर आते हैं तुरंत वहां पहुंच जाते है।
वहां देखते है कि दफनाने से पहले जो अपने घर के परिजन की मौत पर बिलख बिलख कर रो रहा था,,
जिसे हम सब्र व हिम्मत से रहने को बोल रहे थे उसी से हम बोटी मांग रहे हैं।😒

लोग रोते हुए खाना बांट रहे है और हम ऐसे खा रहे हैं जैसे बरसो से भूखे हों।😒

चलो मानलो ज्यादा समय होने के कारण हमे भूख लगने भी लगे,,,,, तो ऐसा कोई ही होगा जिसके पास इतने पैसे ना हो कि आस पास किसी दुकान से भूख को कम करने के लिए सामान खरीद सकें।

अब ये परंपरा किस हद्द तक सही है इस पर हम तो कुछ कह नहीं सकते। लेकिन पता नही क्यों मुझे तो ये गलत लगता है।