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तूफ़ानों से आँख मिलाओ ,सैलाबों पे वार करो मल्लाहों का चक्कर छोड़ो ,तैर के दरिया पार करो लोग होठों पे सजाये हुए फिरते हैं मुझे मेरी शोहरत किसी अखबार की मोहताज नहीं मैंने मुल्कों की तरह लोगों के दिल जीते हैं ये हुकूमत किसी तलवार की मोहताज नहीं! 🌹🌹🌹🌹🌹🌹
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