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सुलतान बायजीद की पैदाइश 29 जून 1354 ई. में हुयी थी। आगे चल कर ये अपने वालिद मुराद I की कोसोवो की जंग में वफ़ात के बाद तख़्त पर बैठे थे। कोसोवा की जंग तो उस्मानियों ने जीत ली थी। लेकिन अब उनके सामने दूसरा बड़ा दुश्मन कोई यूरोपीय ताकत नहीं बल्कि मध्य एशियाई विजेता (Conqueror of Central Asia) अमीर तैमूर था।
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दरअसल उस समय तैमूर लंग की बढ़ती सरहदें उस्मानी सरहदों को छूने लगीं थीं। दोनों ही अपने दौर के ताकतवर हुक्मरान थे। एक ने एशिया तो दूसरे ने यूरोप में अपनी धाक जमा रखी थी। अमीर तैमूर को सल्तनते उस्मानिया पर हमला करने के लिए कोई ठोस बहाना चाहिए था। सो उसने एक तरकीब निकाल ली अमीर तैमूर अपने आप को चंगेज खान का वंशज मानता था। तो उसके हिसाब से अनातोलिया के कुछ समय पहले तक मंगोलों के कब्जे वाले इलाकों पर उसका अधिकार था। जिसे उस्मानियों ने स्थानीय हुक्मरानों से लड़ कर जीत लिया था।

20 जुलाई 1402 को जब अंकरा में उस्मानी और तैमूरी फौज आपस में टकराई तो उस जंग में सुल्तान बायजीद की शिकस्त हो गयी। अमीर तैमूर ने सुल्तान बायजीद को कैदी बना लिया था। उसके 1 बरस बाद ही अमीर तैमूर की कैद में ही सुल्तान बायजीद का इंतकाल हो गया था।
सुल्तान बायजीद की मौत पर भी अलग-अलग वर्ज़न मौजूद हैं। उनमे से एक ने बायजीद के सुसाइड करने का भी जिक्र किया है।

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